लकीरों में है लक्ष्मी, सुबह की शुरुआत करें इस प्रार्थना के साथ, होगा धन लाभ
जिस प्रकार जन्म कुंडली किसी व्यक्ति के भविष्य का आकलन कर देती है, ठीक उसी तरह हस्त रेखाएं भी व्यक्ति के भाग्य के बारे में सब कुछ बयां कर सकती है। इस संबंध में एक श्लोक है।
यद ब्रह्मयं पुस्तकं हस्ते घृत बोधाय जन्मिनाम् ।।
इसका अर्थ है कि व्यक्ति का हाथ ब्रह्मा जी द्वारा लिखी गई ऐसी पुस्तक है, जो जीवन भर उसका मार्गदर्शन करती है। प्रायः हम सारी क्रियाएं हाथ से संपन्न करते हैं। इसलिए शास्त्रों में सुबह उठने के पश्चात हस्त दर्शन को प्रमुखता दी गई है। कहा भी गया है कि –
कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥
संपूर्ण श्लोक का अर्थ है:-
“कराग्रे वसते लक्ष्मी” – लक्ष्मी माता हमारे हाथ के अंगुलियों के तिप्पणों (अग्र) पर विराजमान होती हैं।
“करमध्ये सरस्वती” – सरस्वती माता हमारे हाथों के बीच में विराजमान होती हैं।
“करमूले तू गोविन्दः” – हाथों के मूल भाग में गोविंद अर्थात भगवान विष्णु का निवास होता है।
“प्रभाते करदर्शनम्” – अतः प्रातः काल में मैं इनका दर्शन करता हूं ।
इस श्लोक में धन की देवी लक्ष्मी, विद्या की देवी सरस्वती और अपार शक्ति के दाता, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की स्तुति की गई है, ताकि जीवन में धन, विद्या और भगवत कृपा की प्राप्ति हो सके।
इस श्लोक का अर्थ है कि हमें जगदम्बा लक्ष्मी की कृपा से समृद्धि मिलती हैं, सरस्वती की कृपा से ज्ञान और विद्या मिलती हैं और जब हम अपने हाथों को देखते हैं तो हमें भगवान विष्णु का स्मरण होता हैं। सुबह उठकर हाथों को देखने से हमारी दृष्टि तेज होती हैं और हमें सकारात्मक ऊर्जा मिलती हैं।
यानी हाथ की रेखाओं में ही लक्ष्मी और सरस्वती का वास होता है। हालांकि हर व्यक्ति का हाथ अलग-अलग होता है। जैसे भाग्यवान व्यक्ति का हाथ छूने पर थोड़ी गर्मी लिए हुए प्रतीत होता है। उसका रंग लाल एवं अंगुलियां सटी हुई होती हैं। ऐसे लोगों की हथेली तांबे के समान रंग वाली और बड़ी अंगुलियां लिए होती हैं। जबकि धनी व्यक्ति के हाथ का रंग लाल होता है। यदि हथेली नीलापन लिए हो तो वह व्यक्ति शराबी होता है, आदि । अंततः यह भी कहा गया है कि व्यक्ति का भाग्य कर्म से बदलता रहता है।